श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि – Chaman Lal Bhardwaj | Shree Durga Stuti Path Vidhi

Shree Durga Stuti by Chaman Lal Bhardwaj

यह पोस्ट श्री दुर्गा स्तुति की पाठ विधि का हिंदी पाठ पेश करती है — मूल पाठ (Chaman Lal Bhardwaj द्वारा संकलित) जैसा कि उपलब्ध है। इस पृष्ठ पर केवल हिंदी स्तुति का पूरा पाठ दिया गया है; अर्थ/अनुवाद शामिल नहीं हैं।

This post contains the Hindi text of Shree Durga StutiPath Vidhi (पाठ विधि) (compiled by Chaman Lal Bhardwaj). Only the Hindi stuti text is presented here; translations or explanations are not included.

श्री दुर्गा स्तुति

लेखक / स्रोत: Chaman Lal Bhardwaj
यहाँ केवल हिंदी स्तुति का पाठ दिया गया है। अर्थ/अनुवाद शामिल नहीं हैं।


॥ श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि ॥

ब्रह्म मुहूर्त में उठते समय जय जगदम्बे जय जय अम्बे का ग्यारह बार मुँह में जाप करें। शौच आदि से निवृत हो कर स्नान करने के बाद लाल रूमाल कन्धे पर रखकर पाठ करें।

मौली दाई कलाई पर बांधे या बंधवा लें। आसन पर चौकड़ी लगा कर (बैठ कर) हाथ जोड़ कर बोलें :
"पौना वाली माता जी तुहाडी सदा ही जय।" भगवती मां के सामने घी की जोत जला कर पाठ प्रारम्भ करें।

॥ यहां से पाठ प्रारम्भ करें ॥

मिट्टी का तन हुआ पवित्र गंगा के अश्नान से।
अन्तः करण हो जाए पवित्र जगदम्बे के ध्यान से।

सर्व मंगल मागल्य शिवे सवार्थ साधके।
शरण्ये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमो स्तुते।

शक्ति शक्ति दो मुझे करूं तुम्हारा ध्यान।
पाठ निर्विघ्न हो तेरा मेरा हो कल्याण।

हृदय सिंहासन पर आ बैठो मेरी मात।
सुनो विनय मम दीन की जग जननी वरदात।

सुन्दर दीपक घी भरा करूं आज तैयार।
ज्ञान उजाला माँ करो मेटो मोह अन्धकार।

चन्द्र सूर्य की रोशनी चमके 'चमन' अखण्ड।
सब में व्यापक तेज है ज्वाला का प्रचण्ड।

ज्वाला जग जननी मेरी रक्षा करो हमेश।
दूर करो माँ अम्बिके मेरे सभी कलेश।

श्रद्धा और विश्वास से तेरी जोत जलाऊं।
तेरा ही है आसरा तेरे ही गुण गाऊ।

तेरी अद्भुत गाथा को पंढू मैं निश्चय धार।
साक्षात् दर्शन करूं तेरे जगत आधार।

मन चंचल से पाठ के समय जो औगुण होय।
दाती अपनी दया से ध्यान न देना कोय।

मैं अनजान मलिन मन न जानूं कोई रीत।
अट पट वाणी को ही माँ समझो मेरी प्रीत।

'चमन' के औगुण बहुत है करना नहीं ध्यान।
सिंह वाहिनी माँ अम्बिके करो मेरा कल्याण।

धन्य धन्य माँ अम्बिके शक्ति शिवा विशाल।
अंग अंग में रम रही दाती दीन दयाल।

चन्द्र सूर्य की रोशनी चमके 'चमन' अखण्ड।
सब में व्यापक तेज है ज्वाला का प्रचण्ड।

चन्द्र सूर्य की रोशनी चमके 'चमन' अखण्ड।
सब में व्यापक तेज है ज्वाला का प्रचण्ड।

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